अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन दिनों पामोलिन (Palmolin) के दाम में करीब 50 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बीते मई में दुनिया भर में इसका परिवहन नहीं हो रहा था। तब इसके दाम (Palm Oil Price) ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए थे। लेकिन जैसे ही पोर्ट (Port) खोले गए और इसका परिवहन शुरू हुआ। फिर तो इसके दाम में बढ़ोतरी होने लगी। अभी इसके दाम में 50 फ़ीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है।
.पिछले कुछ महीनों से आप महसूस कर रहे होंगे कि खाद्य तेलों की कीमतें लगातार बढ़ती ही जा रही है
.आप सोच रहे होंगे कि सरसों, सोयाबीन और सूर्यमुखी आदि का उत्पादन घट गया होगा। तभी तो खाद्य तेलों की कीमत बढ़ रही है
.लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है
नई दिल्ली
पिछले कुछ महीनों से आप महसूस कर रहे होंगे कि खाद्य तेलों (Edible Oil) की कीमतें लगातार बढ़ती ही जा रही है। आप सोच रहे होंगे कि सरसों, सोयाबीन और सूर्यमुखी आदि का उत्पादन घट गया होगा। तभी तो खाद्य तेलों की कीमत बढ़ रही है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। सच्चाई यह है कि पाम ऑयल (Palm Oil) के भाव बढ़ गए हैं। इसलिए दूसरे खाद्य तेल (Edible Oil) भी महंगे हो गए हैं। भारत में जितना खाद्य तेलों की खपत होती है, उसमें 40% से भी ज्यादा हिस्सा पामोलिन का होता है।
50 फीसदी चढ़ गए पाम ऑयल के दाम
इक्रा (ICRA) से मिली जानकारी के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन दिनों पामोलिन के दाम में करीब 50 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बीते मई में दुनिया भर में इसका परिवहन नहीं हो रहा था। तब इसके दाम ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए थे। लेकिन जैसे ही पोर्ट (Port) खोले गए और इसका परिवहन शुरू हुआ। फिर तो इसके दाम में बढ़ोतरी होने लगी। अभी इसके दाम में 50 फ़ीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है। इस समय इसकी मांग प्री कोविड लेवल (Pre covid level) तक नहीं पहुंची है, लेकिन इसके दाम प्री कोविड लेवल से ऊपर चले गए हैं। दिक्कत यह है कि पूरी दुनिया में पाम आॅयल के सप्लायर इंडोनेशिया और मलेशिया ही हैं। और वहां अभी भी सप्लाई साइड इश्यूज विराजमान हैं।
अपने यहां पाम ऑयल की कुछ ज्यादा ही है खपत
भारत में पाम ऑयल का कुछ ज्यादा ही चलन है। देश के कुल खाद्य तेलों की खपत में पाम ऑयल की हिस्सेदारी 40 फ़ीसदी से भी ज्यादा की है। इसकी अधिकतर खपत बिस्कुट और बेकरी प्रोडक्ट उद्योग, होटल तथा रेस्टोरेंट, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री आदि में होती है। जब पाम आॅयल की कीमत बढ़ती हैं तो सरसों, सोयाबीन, सूर्यमुखी समेत तमाम खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ती है।
तेजी से बढ़ा है इंपोर्ट बिल
इक्रा (ICRA) से मिली जानकारी के अनुसार भारत में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान पामोलिन, सोयाबीन और सूर्यमुखी के तेल का इंपोर्ट बिल 67,100 करोड़ रुपए रहा था। यह देश के कुल इंपोर्ट बिल का महल 2 फीसदी ही है। इस साल शुरूआती 6 महीने में ही खाद्य तेलों का इंपोर्ट बिल 35,100 करोड़ रुपये का रहा है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 8 फीसदी ज्यादा है। हालांकि यदि हम क्वांटिटी को देखें तो यह पिछले साल के मुकाबले 13 फ़ीसदी कम है मतलब कि हमने 13 फ़ीसदी कम खाद्य तेल आयात किया, तब भी हमें 8 फ़ीसदी ज्यादा दाम भरने पड़े। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा का अनुमान है कि खाद्य तेलों का आयात बढ़ेगा।
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जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद
हटाएंBahut Achcha news channel hai
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद
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