*🙋🏻♀️ पति पत्नी का एक खूबसूरत ग्रहयोग संवाद 🙋🏻♂️*
*क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता,*
*मैं बार-बार तुमको बोल देता हूँ,*
*डाँट देता हूँ , फिर भी तुम*
*पति भक्ति में लगी रहती हो,*
*❗ जबकि मैं कभी ❗*
*पत्नी भक्त बनने का प्रयास नहीं करता ?*
*मैं वेद का विद्यार्थी और मेरी पत्नी*
*विज्ञान की, परन्तु उसकी*
*आध्यात्मिक शक्तियाँ मुझसे कई गुना*
*ज्यादा हैं , क्योकि मैं केवल पढता हूँ,*
*❗और वो ❗*
*जीवन में उसका पालन करती है.*
*मेरे प्रश्न पर, जरा वो हँसी, और*
*गिलास में पानी देते हुए बोली ~*
*💅ये बताइए, एक पुत्र यदि*
*माता की भक्ति करता है, तो उसे*
*मातृ भक्त कहा जाता है, परन्तु*
*माता यदि पुत्र की*
*कितनी भी सेवा करे,*
*उसे पुत्र भक्त तो*
*नहीं कहा जा सकता न.*
*मैं सोच रहा था,*
*आज पुनः ये मुझे निरुत्तर करेगी.*
*मैंने प्रश्न किया ~ ये बताओ ....*
*जब जीवन का प्रारम्भ हुआ, तो*
धन *पुरुष और स्त्री समान थे,*
*स्त्री तो शक्ति का स्वरूप होती है ?*
*मुस्काते हुए उसने कहा ~आपको*
*थोड़ी विज्ञान भी पढ़नी चाहिए थी.*
*मैं झेंप गया.*
*उसने कहना प्रारम्भ किया ~*
*दुनिया मात्र दो वस्तु से निर्मित है ...*
*🔥ऊर्जा और पदार्थ,♥️*
*पुरुष --> ऊर्जा का प्रतीक है, और*
*स्त्री --> पदार्थ की.*
*पदार्थ को यदि विकसित होना हो, तो*
*वह ऊर्जा का आधान करता है,*
*ना की ऊर्जा पदार्थ का.*
*ठीक इसी प्रकार ... जब एक स्त्री*
*एक पुरुष का आधान करती है, तो*
*शक्ति स्वरूप हो जाती है, और*
*आने वाली पीढ़ियों अर्थात*
*अपनी संतानों के लिए*
*प्रथम पूज्या हो जाती है,*
*क्योंकि*
*वह पदार्थ और ऊर्जा*
*दोनों की स्वामिनी होती है,*
*जबकि पुरुष*
*मात्र ऊर्जा का ही अंश रह जाता है.*
*मैंने पुनः कहा ~*
*तब तो तुम मेरी भी*
*पूज्य हो गई न, क्योंकि-*
*तुम तो ऊर्जा और पदार्थ*
*दोनों की स्वामिनी हो ?*
*अब उसने झेंपते हुए कहा ~ आप भी*
*पढ़े लिखे मूर्खो जैसे बात करते हैं.*
*आपकी ऊर्जा का अंश*
*मैंने ग्रहण किया, और*
*शक्तिशाली हो गई, तो क्या*
*उस शक्ति का प्रयोग*
*आप पर ही करूँ ?*
*ये तो कृतघ्नता हो जाएगी.*
*मैंने कहा ~ मैं तो तुम पर*
*शक्ति का प्रयोग करता हूँ ,*
*फिर तुम क्यों नहीं ?*
*उसका उत्तर सुन ...*
*मेरी आँखों में आँसू आ गए.*
*उसने कहा ~ जिसके संसर्ग मात्र से*
*मुझमें जीवन उत्पन्न करने की*
*क्षमता आ गई, और*
*ईश्वर से भी ऊँचा जो पद*
*आपने मुझे प्रदान किया,*
*💅जिसे माता कहते हैं,*
*उसके साथ मैं विद्रोह नहीं कर सकती.*
*यदि शक्ति प्रयोग करना भी होगा,*
*तो मुझे क्या आवश्यकता ?*
*👉 मैं तो माता सीता की भाँति*
*लव कुश तैयार कर दूँगी,*
*जो आपसे मेरा*
*हिसाब किताब कर लेंगे. 👈*
*🙏 नमन है ... सभी मातृ शक्तियों को*
*जिन्होंने अपने प्रेम और मर्यादा में*
*समस्त सृष्टि को बाँध रखा है.*
Nice
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जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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